मोहम्मद शामी की आग उगलती गेंद का राज – आइस बाथ
1 min readपेशेवर एथलीटों के ट्रेनिंग रूम में बर्फ से भरा बाथटब होना बेहद आम बात है। बहुत से खिलाड़ी कड़ी मेहनत के बाद बर्फ के टुकड़ों वाले पानी में कुछ देर बैठते हैं। इसे आइस बाथ भी कहा जाता है। इसके पीछे धारणा है कि व्यायाम के बाद बर्फीले पानी में नहाने से मांसपेशियों को आराम मिलता है और शरीर जल्दी ही दोबारा व्यायाम के लिए तैयार हो जाता है। मांसपेशियों को होने वाला नुकसान कम होता है और मांसपेशियों के विकास में भी मदद मिलती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि मांसपेशिया लंबे फाइबर से निर्मित होती हैं। कसरत के बाद इनका विकास तेजी से होता है। हालांकि, कसरत के बाद तुरंत शरीर पर बर्फीला पानी पड़ने से फाइबर का विकास थम जाता है। आइस बाथ से मांसपेशियों में मौजूद बॉयोकेमिकल्स का संतुलन बिगड़ जाता है। ऊतक के विकास के लिए जरूरी प्रोटीन की मात्रा घट जाती है जबकि उनके टूटने के लिए जिम्मेदार प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है। यही वजह है कि मांसपेशी के फाइबर छोटे रह जाते हैं।
आइस बाथ का तापमान कितना रखना है, यह उस दिन के मौसम पर भी निर्भर करता है। खिलाड़ियों को 10 मिनट आराम के लिए मिलते हैं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ विशाखापट्टनम टेस्ट में पांचवें दिन तो आसमान से जैसे आग बरस रही थी। इसी दौरान शमी ड्रेसिंग रूम में घुसे, शमी ने आइस बाथ लिया। बर्फीले पानी से धुलकर कुर्सी पर सुखती जर्सी पहनी, मोजे बदले और फिर दोबारा तरोताजा होकर जलवे बिखरने मैदान पर लौट गया। शमी अक्सर तभी ड्रेसिंग रूम में इस तरह घुसते हैं जब उन्हें लगता है कि पिच में उनके लिए कुछ है।
कितना कुछ करते है खिलाड़ी । बढ़िया ख़बर । जय हिंद