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मुम्बई में सरकारी ज़मीन पर धड़ल्ले से जारी अवैध निर्माण, प्रशासन, हादसों से भी नहीं सीख रहा सबक।

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सरकारी ज़मीन पर 200 से ज्यादा अवैध इमारतें, आरटीआई से हुआ खुलासा। मालवणी हादसे से भी नहीं सीखा कोई सबक।वर्सोवा कोलीवाडा में सरकारी ज़मीन पर धड़ल्ले से जारी अवैध निर्माण, मालवणी हादसे से भी नहीं सीखा कोई सबक।

मुंबई में मलाड के मालवणी इलाके में हुए हादसे की जांच अभी शांत भी नहीं हुई कि मुंबई के कई इलाकों में सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण का कार्य एक बार फिर धड़ल्ले से शुरू हो चुका है। सोशल एक्टिविस्ट इफ्तेकार शाह ने बीएमसी से की शिकायत के मुताबिक, मुंबई के वर्सोवा कोलीवाडा इलाके में भी लैंड माफियाओं ने सरकारी जमीन हड़पने की प्रक्रिया एक बार फिर शुरू कर दी है। दरअसल ये कलेक्टर की हद में आनेवाली वो जमीन है जो कभी खाड़ी का हिस्सा हुआ करती थी लेकिन पिछले कुछ सालों में उसी खाड़ी में मिट्टी, मलबा डालकर पहले उसे रिक्लेम किया गया और फिर उसपर स्ट्रक्चर खड़े किए जाने लगे।

सोशल एक्टिविस्ट इफ्तेकार शाह ने अवैध निर्माण के ख़िलाफ़ बीएमसी से की शिकायत।

चूंकि नियमों के मुताबिक कलेक्टर लैंड पर किसी भी तरह के कोई निर्माण कार्य को मंजूरी नहीं होती इसलिए इस जमीन पर बने अवैध इमारतों की खरीद फरोख्त में ना कोई स्टैंप ड्यूटी अदा की जाती है ना कोई रजिस्ट्रेशन, मात्र 500 रुपए के एक स्टैंप पेपर पर ही पूरी डील की जाती है। साल 2001, साल 2010 और साल 2021 के तीन अलग-अलग गूगल मैप की तस्वीरों में भी इस बात का खुलासा हुआ कि कैसे यहां के ग्रीन जोन पर पिछले कुछ सालों में लैंड माफिया ने धीरे धीरे कब्जा करने से लेकर कंक्रीट के जंगल खड़े किए गए।

शाह को आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक अकेले वर्सोवा इलाके में बीएमसी अब तक 180 से ज्यादा अवैध इमारतों को स्टॉप वर्क नोटिस देने की खानापूर्ति कर चुकी है लेकिन इन अवैध इमारतों के खिलाफ दो दर्जन से ज्यादा शिकायत मिलने के बावजूद प्रशासन के कानों पर अब तक जूं तक नहीं चली। इस इलाके में कलेक्टर ऑफिस के अलावा बीएमसी अधिकारियों, रिमूवल ऑफ इंक्रोचमेंट विभाग, दमकल विभाग और स्थानीय पुलिस के साथ सांठ-गांठ कर सरकारी जमीन पर चार से पांच मंजिला इमारत खड़ी करना कोई मुश्किल काम नहीं है।

मुम्बई के वर्सोवा इलाके में अवैध निर्माण की सेटलाइट तस्वीर।
पिछले 10 साल में हुआ तेजी से अवैध निर्माण

इस मामले में  बीएमसी के वेस्ट वार्ड के असिस्टेंट कमिश्नर विश्वास मोटे की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।हालांकि बड़ा सवाल सिर्फ मुंबई के किसी एक इलाके का नहीं बल्कि शहर के बाकी कई हिस्सों में भी ऐसे ही भ्रष्टाचार के चलते जहां लैंड माफिया मस्त हैं वहां प्रशासन उनके सामने पस्त है। ऐसे में कोविड महामारी के दौरान विश्व भर में मुंबई मॉडल का लोहा मनवा चुकी बीएमसी अब इस मामले में अपनी छवि कैसे सुधारेगी इसपर सभी की निगाहें टिकीं होंगी।

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